भारत में कई मंदिर है जो अपने चमत्कारों को लेकर प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर है आंध्र प्रदेश स्थित कनिपकम विनायक मंदिर। वैसे देश में अनेकों ऐसे गणेश मंदिर हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, लेकिन यह मंदिर बाकि सब मंदिरों से अपने आप में अनूठा है क्योंकि, एक तो ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच स्थित है और दूसरा यहां स्थित गणपति की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ रहा है। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे हुए है कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर।
भगवान श्री गणेश का ये मंदिर भारत के दक्षिणी प्रांत आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इसका निर्माण चोल वंश ने 11 शताब्दी में करवाया था। इसके बाद विजयनगर के शासकों ने वर्ष 1336 में इसका विस्तार किया।
मंदिर के बनने की कहानी भी बेहद रोचक है कहा जाता है कि तीन भाई थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। तीनों ने मिलकर अपने जीवन व्यापन के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा खरीदा। जमीन पर खेती के लिए पानी की जरुरत थी। इसलिए तीनों ने उस कुंए को खोदना शुरू किया जो सूख चुका था। काफी खोदने के बाद पानी निकला।
उसके बाद थोड़ा और खोदने पर एक पत्थर दिखाई दिया। जिसे हटाने पर खून की धारा निकलने लगी। थोड़ी ही देर में पूरे कुंए का पानी लाल हो गया। यह चमत्कार होते ही तीनों भाई जो कि गूंगे, बेहरे या अंधे थे वे एकदम ठीक हो गए। जब ये खबर उस गांव में रहने वाले लोगों तक पहुंची तो वे सभी यह चमत्कार देखने के लिए एकत्रित होने लगे। तभी सभी को वहां प्रकट स्वयं भू गणेशजी की मूर्ति दिखाई दी, जिसे वहीं पानी के बीच ही स्थापित किया गया।
कुएं के पानी की लहर में से अपने आप प्रकट हुई इस गणेश भगवान की मूर्ति को भक्तों ने स्वयंभू विनायक का नाम दिया। आज भी उस दिव्य कुएं में हर मौसम, हर परिस्थिति में पानी रहता है। बारिश के दिनों में तो पानी कुएं में से बाहर भी बहता है।
कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बात से आपको भी हैरानी हो रही होगी, लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि प्रतिदिन गणपति की ये मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है।
इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है। कहा जाता है कि विनायक की एक भक्त ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढऩे की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया है।
करीब 50 साल पहले एक भक्त ने इस मूर्ति के नाप का ब्रेसलेट दान किया था, जो पहले इस मूर्ति के हाथ में सही आता था। लेकिन अब वह ब्रेसलेट मूर्ति के हाथ में नहीं आता।
कनिपकम विनायक की यह मूर्ति, दो पक्षों के झगड़े भी सुलझाती है। इस मूर्ति के पास कुएं की ओर मुंह कर विनायक की शपथ लेकर लोग आपसी मसलों को हल करते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यहां ली गई शपथ किसी भी कानून या न्याय से बड़ी है।
Synopsis
1000 YEARS old Magnificient and Mysterious Growing LORD. The presiding deity of Kanipakam is the all pervading power who casts a spell of divinity, purity and curative power. The silver armour which was quite ‘fit’ when it was donated in the year 1945 could not fit the idol as it was evident that the idol of Lord Vinayaka is gradually growing in its size and dimensions says Chandramouli Gurukkal, the eleventh successor of the chief priests.